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Showing posts from October, 2022

भाई दूज जैसा त्यौहार न दूजा

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हिंदुस्तान त्यौहारों का देश है और हम सभी त्यौहार यहां भिन्न-भिन्न रूपों से मनाते हैं। कुछ अपनी रोशनी के लिए प्रसिद्ध है जबकि कुछ अपने रंगों के लिए। भाई-बहनों के लिए भी त्यौहार है और उनमें से एक है भाई दूज। Bhai Dooj  भाई दूज शुक्ल पक्ष में कार्तिक महीने की द्वितीय तारीख को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को आमंत्रित करती हैं और उनके लिए अलग-अलग और स्वादिष्ट व्यंजन बनाती हैं। इसके साथ ही उनको तिलक भी लगाती हैं और भाई भी अपनी बहनों को कुछ उपहार देते हैं। इस तरह इस अवसर को मनाया जाता है। माना जाता है कि यह पर्व भगवान श्री कृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा के संदर्भ में मनाया जाता है। जब भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर को हराया था तो वह अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे। उनकी बहन ने कृष्ण का स्वागत किया और राक्षस को हराने के अवसर पर विजय का तिलक लगाया। उन्होंने कृष्ण जी के लिए अलग-अलग खाने की चीजें बनाईं और उनकी सेवा की और भगवान कृष्ण को भी उनका आतिथ्य पसंद आया। तब से यह दिन भाई बहनों और उनके प्यार के मधुर बंधन के लिए लोकप्रिय हुआ और हर साल लोग यह अवसर मनाने लगे।

दीपावली खुशियों वाली

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दीपावली यानी दीपों का त्योहार। हर साल जिसे हम बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इसमें न केवल छोटों का स्नेह मौजूद होता है बल्कि बड़ों का आशीर्वाद भी शामिल होता है। लेकिन आजकल के बच्चों को जहां अपने माता-पिता की ही इज्ज़त नहीं होती, उन्हें क्या पता होगा उनके आर्शीवाद का मूल्य।  Happy Diwali बस थोड़ी सी अनबन हुई नहीं कि छोड़ जाते है बुढ़े माता-पिता को अकेला। कभी सोचा है उन पर क्या बितती होगी। ऐसे ही नहीं वृद्धाश्रम में कमरों की कमी है। वहां अकेले बैठे करते रहते हैं अपने बच्चों व पोता-पोती का इंतजार लेकिन बदले में मिलता क्या है - अकेलापन। तो आइए हम सब मिलकर इस दीपावली पर प्रण लेते हैं कि हम अपने व उन सभी बुजुर्गों के साथ कुछ समय व्यतीत कर उनके साथ त्योहार मनाएंगे। इससे उनका अकेलापन तो दूर होगा ही साथ ही मिलेगा आपको उनका ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद।

अहोई अष्टमी व्रत का महत्व

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हिंदू धर्म में हर व्रत का विशेष कारण और महत्व है। आज हम ऐसे ही एक व्रत के बारे में आपको बताना चाह रहे हैं। अहोई अष्टमी व्रत जिसे महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और मंगल कामना के लिए रखती है। धार्मिक मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। अहोई अष्टमी यह व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह व्रत 17 अक्टूबर सोमवार को मनाया जाएगा। इस व्रत में महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं। माना जाता है कि अहोई अष्टमी के दिन व्रत करने वाले महिलाओं को धारदार वस्तु का प्रयोग नहीं करना चाहिए जैसे सुई या किसी भी नुकीली वस्तु का प्रयोग ना करें। इस दिन महिलाओं को दिन के समय सोना नहीं चाहिए। उस दिन माता का ध्यान करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। उस दिन शाम के समय तारों को अर्ध्य देने की परंपरा है। तारों को अर्ध्य देने के बाद व्रत पूर्ण होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो महिला अहोई माता का व्रत रखती हैं उसे जल्द संतान सुख की प्राप्ति होती है।

महिलाओं के लिए ख़ास त्योहार - करवा चौथ

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करवा चौथ को केवल एक व्रत के रूप में ही नहीं बल्कि त्योहार के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो आमतौर पर यह महिलाओं के लिए ख़ास होता है क्योंकि वे अपने पतियों के लिए पूरा दिन भूखे-प्यासे रह कर उनकी लंबी उम्र का वरदान मांगती है। लेकिन आजकल पति भी अपनी पत्नियों की लंबी उम्र के लिए व्रत करने लगे हैं। यही वजह है कि यह महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों के लिए काफी खास मौका होता है।  Karwa Chauth इस दिन महिलाएं अच्छे से सज-धज कर तैयार होती है। उस दिन वे सोलह श्रृंगार - मेहंदी, बिंदी, काजल, लिप्स्टिक, आदि लगाकर अपने पति के प्रति प्रेम भाव को दर्शाती है। पति भी अपनी पत्नियों को देखकर चांद के स्वरूप का अहसास होता है। पूरा दिन व्रत रखकर रात को चांद को अर्घ देकर अपने व्रत को पूर्ण करते हैं। व्रत को पूर्ण करते समय पति अपनी पत्नी को जल पिला कर उनके व्रत को खोलते हैं और फिर भोजन ग्रहण करते हैं।

रावण पर विजय पाने के लिए, पहले खुद राम बने

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दशहरा हिंदू धर्म के लोगों का बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। इसे पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसे लगातार 10 दिन तक मनाया जाता है। इसीलिए इसे दशहरा कहते हैं। पहले नो दिन तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। दसवें दिन लोग असुर राजा रावण का पुतला जला कर मनाते हैं। Dussehra वह सतयुग का समय था जिसमें केवल एक रावण था जिस पर भगवान राम ने विजय प्राप्त की थी। लेकिन यह कलयुग है जिसमें हर घर में रावण है। इतने रावण पर विजय प्राप्त करना मुश्किल है इसलिए सबसे पहले हमें हमारे अंदर के रावण को मारा होगा। अगर रावण पर विजय प्राप्त करनी है तो पहले खुद राम बनना होगा।  इसे केवल बाहर रावण के पुतले को जलाकर नहीं बल्कि अपने अंदर के रावण पर विजय प्राप्त कर हर्ष उल्हास के साथ यह पर्व मनाना चाहिए। जिस प्रकार एक अंधकार का नाश करने के लिए एक दीपक ही काफी होता है वैसे ही अपने अंदर का रावण नाश करने के लिए एक सोच ही काफी है। ना जाने कितनी ही सदियों पहले रावण का अंत हो चुका है तो फिर आज वह हमारे बीच जीवित कैसे हैं? आज तो कई रावण है। उस रावण के दस सिर थे लेकिन हर सिर का एक की चेहरा था ज...

महिला विवाहित हो या अविवाहित...24 हफ्तों से कम का सबको गर्भपात का हक

हालही में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है जिसमें विवाहित महिलाओं के साथ-साथ अविवाहित महिलाओं को भी गर्भधारण के 24 सप्ताह तक गर्भपात का सामान्य हक है। यह फैसला जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी रूल्स के नियम 3बी को विस्तार देते हुए सुनाया है।  यह फैसला 25 साल की अविवाहित युवती की याचिका पर सुनाया गया है। युवती ने 24 हफ्ते का गर्भ गिराने की मंजूरी मांगी थी। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। युवती अपनी याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची। वहां उसने कबूल किया कि उसने अपनी सहमति से संबंध बनाए थे जिससे वह गर्भवती हो गई। लेकिन बाद में उसके पार्टनर ने शादी करने से इंकार कर दिया। इसलिए अब वह गर्भपात करवाना चाहती है।  यह नियम समाज की दकियानूसी धारणा को खत्म करने के लिए बनाया है कि सिर्फ शादीशुदा महिलाएं ही शारीरिक संबंध बना सकती है। दुष्कर्म जैसे मामलों में भी अविवाहित को गर्भपात का हक है। वहीं अगर किसी महिला से उसका पति जबरन संबंध बनाता है और वह प्रेग्नेंट हो जाती है तो उसे भी गर्भपात का हक है।