भारत की पहली महिला न्यायाधीश - अन्ना चांडी

न्यायमूर्ति अन्ना चांडी भारत की पहली महिला न्यायाधीश थी। 1937 में एक जिला अदालत में भारत में पहली महिला न्यायाधीश बनी और साथ ही दुनिया में उच्च न्यायालय के न्यायधीश के पद तक पहुंचने वाली दूसरी महिला थीं।


अन्ना चांडी

अन्ना चांडी का जन्म 4 मई 1905 को भारत के त्रावणकोर राज्य केरल में हुआ था। उनके माता-पिता मलयाली सीरियाई ईसाई थे। 1929 में इन्होंने वकालत की पढ़ाई पूरी की। वे केरल राज्य की पहली महिला थी, जिसने कानून की डिग्री प्राप्त की थी।


1928 में अन्ना चांडी ने न्यायाली सेवा में सर सीपी रामास्वामी द्वारा त्रावणकोर की जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। न्यायमूर्ति चांडी केरल उच्च न्यायालय में 9 फरवरी 1959 से 5 अप्रैल 1967 तक न्यायाधीश के पद पर कार्य करती रहीं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत के कानूनी क्षेत्र में महिलाओं के करियर रूपी आशाओं को जन्म दिया। 


अन्ना चांडी ने 1973 में आत्मकथा नामक एक पुस्तक भी लिखी। उन्होंने "श्रीमती" नाम से एक पत्रिका भी निकाली जिसमें उन्होंने महिलाओं से जुड़े मुद्दों को जोरशोर से उठाया इसलिए उन्हें महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए भी जाना जाता था। 91 साल की उम्र में 20 जुलाई 1996 को उनकी मृत्यु हो गई।

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