फोन फबिंग कर सकता है आपको अपनों से दूर - सुनिधि गर्ग

अक्सर आपने देखा होगा कि जब हम किसी से बात करते हैं लेकिन उनसे जुड़ाव महसूस नहीं कर पाते क्योंकि जिनसे आप बात कर रहे होते हैं वो तो फोन पर चिपके हुए हैं।


आपके माता-पिता आपसे कुछ कह रहें होते हैं, पत्नी कुछ बता रही है, बच्चे कुछ पूछ रहे हैं और दोस्त आपसे बात कर रहे हैं लेकिन आपका ध्यान तो फोन पर है।


Phone Phubbing



यह सभी लक्षण फोन फबिंग के हैं। फोन फबिंग मतलब फोन के आगे अपनों को नजरंदाज करना। यह बहुत ख़तरनाक साबित हो सकता है। इससे केवल आपके अपने दूर ही नहीं होंगे बल्कि आपको नजरंदाज भी करने लगेंगे और आपको पता भी नहीं चलेगा।


ऑस्ट्रेलिया की चार्ल्स स्टुअर्ट यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर यसलीम अल सगफ ने फबिंग पर 170 शोधों पर अध्ययन करने के बाद "साइकोलॉजी ऑफ फबिंग" किताब लिखी। 


फबिंग का बच्चों पर सबसे ख़तरनाक असर पड़ता है। वे खुद को कटा हुआ और अकेला महसूस करते हैं। इससे वे डिप्रेशन का भी शिकार हो सकते हैं। इसलिए माता-पिता अपने बच्चों से बात करते समय फोन का इस्तेमाल न करें। 


फोन फबिंग से पति-पत्नी में भी लड़ाई-झगड़े बढ़ते हैं। साथी अपने आपको अकेला पाता है। वो आप पर शक करने लगता है और विश्वास कम होता जाता है। 


अगर आपके सामने आपसे बात करते वक्त कोई ऐसे करता है तो आप उन्हें बार-बार टोकें। उनसे बैठकर बात करें कि इससे आपको क्या दिक्कत हो रही है। घर में नियम बनाएं कि खाते वक्त फोन का इस्तेमाल न करें। पति-पत्नी आपस में तय करें कि वे बिस्तर पर फोन लेकर न सोएं। परिवार में बात करने के दौरान फोन हाथ में न रखें।

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