नवरात्रि - देवी के नौ अनोखे स्वरूप
नवरात्रि यानी नौ रातें देवी की हो जय जयकारे वर्ष में दो बार मनाते है मां का दरबार सजाते हैं प्रेम भाव से दर्शन करने हम सभी आते तेरे द्वारे हैं नौ रात-दिन करें हम तेरी ही पूजा और न सूझे हमें कोई काम दूजा नौ अलग-अलग स्वरूप तेरे हृदय में बसें हैं जो मेरे पहला रूप शैलपुत्री का पुत्री पहाड़ों वाली का ब्रह्मचारिणी है तेरा दूसरा स्वरूप अनंत संसार में अनंत तेरा स्वरूप चंद्रघंटा है तीसरा तेरा नाम चंद्रमा की तरह चमकता तेरा धाम चौथा रूप कूष्माण्डा देवी की भक्ति का करती मस्तिष्क की वृद्धि की शक्ति का पांचवां तेरा नाम स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता कात्यानी है तेरा छठा स्वरूप नकरात्मक-सकरात्मक तेरे दो रूप सातवां तेरा रूप है कालरात्रि काल का नाश करे जो देवी आठवां रूप महागौरी का वरदान दे पूर्ण मनोकामना का नौवां तेरा रूप सिद्धिदात्री का दे हमें मन की शांति की क्षमता